रामदेव करो आप है रच्छा पूरी होवे चित की इच्छा । थारै चरणा मन रहे म्हारो । अपना जान करो प्रतिपारो ।। म्हारा काम क्रोध तुम टारो अपना हाथ दे म्हाणे उबारो ।। सुखी बसे मेरा परिवार । जनता शिष्य सभी करता ।। तुम छोड़ कोई और ना ध्याउं जो कुछ चाहूं तुम से पाउं । राख लेओ तुम राखनहारे प्रकाश पाण्डे तेरे सहारे।। मेरी रच्छा अपने कर से करिये सब शैतान को आज मारियै ।। पूरी होई म्हारी आसा तेरे भजन की रहे पियासा ।।
-: अजमल घर अवतार की जय :-
ॐ गुरु जी अजमल कवरां तिलक तंवरा तीन भवना थे धणी । पृथ्वी थारे पांव आवे पीर जी को सदा सिमरे कामिनी ।
द्वारका रा देव आया देही का दातार, एक नामा चार धामा परसलियों नर नार ।
जगननाथा जोत जागी कला धर केदार, मृत लोकां भयी महिमा करे सुर नर सेव ।
पाण्डवां घर प्रीत पाली द्वारका रा देव, घुरी घेवर तुरी हेवर कल हलता के कान ।
नाद भोगल बीन बाजे मौज पाये गेंदनी, कलश कंचन करोड़ कामड़ धुपरा छो थे धणी ।
चक्कर चारू हुआ चेतन चढ़े सुर नर सन्त, एक टांग्या एक ध्यावे पीर जी के पंथ ।
पंथ हाले नेम झाले एक मन ऐको सेवा, नाग रे मुखा अमी झारे पीरां रा पर्च ऐवा ।
छाजल कन्या जात आवे एक ओढ़े एक पाथरे, पीर भेटे सुबुद्धि भेटे बिरल बाणी आचरे ।
बिरल वाणी कलां जानी अधर आसन जोत थांकी पूर पर्चा पीर का ।
सूरे मुखां श्याम सिमरे पीर पूजे पेशवा । दखण का दुरवेश ध्यावे मगन मारू देस रा ।
मगन मारू भजे सारू तंवर तिरवन राय हो । साध थारा सांच बोले पीर जी को सिमरिया सुख पाए हो ।
सहस्त्र धारी जात आवे , इन्द्रधारी अप्सरा, नोउं खण्डा जात आवे गिरड़ धारी गिरधरा ।
गिरड़धारी सती सारी सीता कुन्ता द्रोपता, पाण्डवा घर बहतु पूजा पीर जी को जुगत कर जानी अथाह ।
बावन भैरू चौंसठ जोगन खेड़े खेतर पाल हो, सात सौ भोपाल आवे सुर नर देव विशाल हो ।
भोपाल हाथा चक्र लेता फूल नेजा फरहरे, छप्पन करोड़ जादू जात आवे । पीर जी का नाम लेता अगम बाजा गरहरे ।
देश देलम पाठ मुरधर पूर मेला पीर का,धरा अम्बर पलटे तो वचन पलटे पीर का ।
ध्रुव डीगे तारा गण डीगे पलटे शशी और भान है, बोलिया अजमाल नन्दन अगम का अहनाण है ।
युगां युग सन्त सिमरे सिमरियां उतरे पार हो । हरजी भाटी यूं भणे में भी लाग्यों लार हो ।
ॐ जय अजमल लाला, प्रभु राम रुणीचे वाला ! भगतकाज कलियुग में, लीना अवतारा।।
अध्वन की असवारी सोहे, केसरीया बाना ! शीश तुर्रा हद सोहे, हाथ लिये भाला ।।
ॐ जय अजमल लाला, प्रभु राम रूणीचे वाला ! भगतकाज कलियुग में, लीना अवतारा ।।
डूबत जहाज तिरायी, भैरव देत्य तारा ! कृष्णकला भय भंजन, राम रूणीचे वाला।।
ॐ जय अजमल लाला, प्रभु राम रूणीचे वाला ! भगतकाज कलियुग मे लीना अवतारा ।।
अंघन को प्रभु नेत्र देत है, सुख संपति माया ! कानों में कुंडल झिलमिल, गल पुष्पन माला ।।
ॐ जय अजमल लाला, प्रभु राम रूणीचे वाला ! भगतकाज कलियुग में, लीना अवतारा।।
कोदि जब करुणाकर आवत होय सुखी काया! शरणागत प्रभु तेरी, भगतन सुखदाया ।।
ॐ जय अजमल लाला, प्रभु राम रूणीचे वाला ! भगतकाज कलियुग में, लीना अवतारा ।।
श्री रामदेव जी की आरती, जो कोई नर गावे ! कटे पाप तन मन का सुख संपति पावे ।
ॐ जय अजमल लाला, प्रभु राम रूणीचे वाला! भगतकाज कलियुग में, लीना अवतारा ।।